tag:blogger.com,1999:blog-2264345732373640991.post2683373289781594195..comments2022-11-20T06:20:36.417-08:00Comments on sansmaran: जा, उड़ जारे पंछी!४)(माँ का अपनी बेटीसे मूक संभाषण.)shamahttp://www.blogger.com/profile/10349457755551725245noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2264345732373640991.post-6902230145653013522009-09-12T12:27:42.929-07:002009-09-12T12:27:42.929-07:00और तेरे आनेका दिन क़रीब आने लगा....जिस दिन तू आयेग...और तेरे आनेका दिन क़रीब आने लगा....जिस दिन तू आयेगी...उस दिन तुम्हारे कमरेमे कौनसा बेड कवर बिछेगा??कौनसे परदे लगेंगे??कौनसा गुलदान,कौनसे फूल??पीले गुलाब, पीली सेवंती, साथ लेडीस लैस...यहाँ सिरामिक का गुलदान,यहाँ,पीतल का,यहाँ ताम्बेका...ये राजस्थानी वंदनवार। कब दिन निकलता और कब डूबता पताही नही चलता।<br />क्रमश.........<br /><br />yahi क्रमश to bechaini badha detahai......... <br /><br />ab yeh poora kab hoga?डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.com